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Punjabi Singer Rajvir Jawanda Death at 35 जीवन और संगीत की एक चमकदार आवाज अब नहीं रही

Punjabi Singer Rajvir Jawanda Death at 35 जीवन और संगीत की एक चमकदार आवाज अब नहीं रही

Rajvir Jawanda एक परिचय बचपन से जवानी तक

Rajvir Jawanda ये नाम सिर्फ़ एक पंजाबी गायक या अभिनेता का नहीं था, बल्कि एक ऐसे शख्स का था जिसने अपने सुरों और सादगी से लाखों दिलों में जगह बना ली थी। पंजाब की मिट्टी से उठकर, अपनी मेहनत और जुनून के दम पर उन्होंने वो मुकाम हासिल किया, जहाँ पहुँचना हर कलाकार का सपना होता है।

लेकिन अफसोस, ज़िंदगी ने उन्हें बहुत जल्द हमसे छीन लिया। महज़ 35 साल की उम्र में राजवीर इस दुनिया को अलविदा कह गए, और उनके जाने से पूरी पंजाबी इंडस्ट्री सन्न रह गई।

संगीत से जुड़ी शुरुआत

राजवीर जवांडा का जन्म तकरीबन 1990 के आसपास पंजाब के एक आम से परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें संगीत का शौक़ था। जब दूसरे बच्चे खेलों में मस्त रहते थे, तब राजवीर अपनी किताबों के साथ-साथ सुरों से भी खेलना सीख रहे थे। उनके दोस्तों का कहना था कि स्कूल के समय से ही उनकी आवाज़ में एक अलग जादू था — वो जब भी गाते थे, तो आसपास के लोग रुककर सुनने लगते थे।

उन्होंने संगीत की बाकायदा तालीम ली और कुछ सालों बाद पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री में कदम रखा। शुरुआत में राह आसान नहीं थी ना बड़े प्रोड्यूसर, ना महंगे वीडियोज़, सिर्फ़ मेहनत और आत्मविश्वास। लेकिन कहते हैं ना, “सच्चा हुनर देर-सबेर सामने ज़रूर आता है,” और यही हुआ राजवीर जवांडा के साथ।

उनके यादगार गाने

राजवीर ने अपने करियर में कई ऐसे गाने दिए जो आज भी लोगों की प्लेलिस्ट में बसे हुए हैं।

“Kali Jawande Di” – इस गाने ने उन्हें रातों-रात पहचान दिलाई। इसका म्यूज़िक, बोल और राजवीर की आवाज़ – सबने मिलकर एक नया ट्रेंड सेट किया।

“Khush Reha Kar” – एक ऐसा गाना जिसमें इमोशन और प्यार दोनों का मेल था। ये गाना सुनकर कई लोगों के दिल छू गए।

“Do Ni Sajna” और “Sardari” – इन गानों ने साबित किया कि राजवीर सिर्फ़ रोमांटिक गानों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनमें एक असली पंजाबी मर्दाना अंदाज़ भी है।

उनके गानों में पंजाब की खुशबू होती थी, देसी अंदाज़, खेतों की बात, प्यार का सच्चापन और उस मिट्टी की महक, जिससे वो खुद आए थे।

अभिनय की दुनिया में कदम
गायकी के साथ-साथ राजवीर ने फिल्मों में भी अपनी किस्मत आजमाई। 2018 में आई “Subedar Joginder Singh” में उन्होंने सेना के एक बहादुर सिपाही का किरदार निभाया था। ये फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित थी और इसमें उनके अभिनय को खूब सराहा गया। इसके बाद 2019 में उन्होंने “Jind Jaan” जैसी फिल्मों में भी काम किया, जिसमें उन्होंने अपने आकर्षक लुक और नैचुरल एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत लिया।

फैंस के दिलों में जगह
राजवीर की खास बात थी उनकी सादगी। शोहरत के बावजूद वो हमेशा ज़मीन से जुड़े रहे। गाँव के लोगों से मिलना, फैंस के साथ फोटो खिंचवाना, लाइव कॉन्सर्ट में दिल खोलकर गाना ये सब उनकी आदत थी। उनके फैंस कहते हैं कि राजवीर में एक “देसी रूह” थी जो शहर की चकाचौंध में भी मिट्टी की खुशबू नहीं भूलती थी।

उनके गाने सुनकर लोगों को अपने गाँव, अपनी मोहब्बत और अपने बीते दिनों की याद आ जाती थी। और यही एक सच्चे कलाकार की पहचान होती है जो सिर्फ़ आवाज़ से नहीं, एहसास से दिल जीत ले।

Disastrous दिन: 27 सितंबर 2025 की वो दुर्घटना

27 सितंबर 2025 का दिन Rajvir Jawanda के चाहने वालों के लिए कभी न भूलने वाला दिन बन गया। उस दिन Rajvir Jawanda अपने कुछ दोस्तों के साथ हिमाचल प्रदेश की तरफ़ बाइक से सफर पर निकले थे कहा जा रहा है कि वो शिमला घूमने जा रहे थे। राजवीर को बाइक राइडिंग का बहुत शौक़ था, वो अक्सर सोशल मीडिया पर अपने ट्रिप्स की झलकियाँ शेयर करते रहते थे। लेकिन किसे पता था कि ये सफर उनकी ज़िंदगी का आख़िरी सफर बन जाएगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब Rajvir Jawanda बड्डी (Baddi) के पास पहुंचे जो हिमाचल का एक इलाका है तो उनकी मोटरसाइकिल अचानक से नियंत्रण से बाहर हो गई। बताया जाता है कि सड़क पर अचानक कोई जानवर, शायद गाय या बछड़ा, आ गया था, और उसे बचाने की कोशिश में Rajvir Jawanda का बैलेंस बिगड़ गया। बाइक फिसल गई और वो ज़ोर से सड़क पर गिर पड़े।

गवाहों के मुताबिक, टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि राजवीर को सिर और रीढ़ (स्पाइन) पर गंभीर चोटें आईं। कुछ लोगों ने उन्हें तुरंत उठाकर पास के लोकल अस्पताल पहुँचाया, जहाँ डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज शुरू किया। लेकिन वहाँ पर उनकी हालत और बिगड़ गई उन्हें कार्डियक अटैक (दिल का दौरा) पड़ गया।

स्थिति गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने बिना वक्त गँवाए उन्हें मोहाली (Mohali) के फोर्टिस अस्पताल में रेफ़र कर दिया। वहाँ विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने तुरंत इलाज शुरू किया। Rajvir Jawanda को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया और लाइफ सपोर्ट सिस्टम से जोड़ा गया। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी चोटें बेहद नाज़ुक थीं सिर की चोट से दिमाग पर गहरा असर हुआ था और रीढ़ की हड्डी बुरी तरह से प्रभावित हुई थी।

फोर्टिस अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, Rajvir Jawanda की हालत रात भर गंभीर बनी रही। डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की सर्जरी की तैयारी तक की गई, लेकिन उनका शरीर अब जवाब देने लगा था। उनकी साँसें मशीनों के सहारे चल रही थीं, और पूरे देशभर से उनके फैंस उनकी सलामती की दुआएँ कर रहे थे।

पंजाबी इंडस्ट्री के कई कलाकारों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालीं “Rajvir Jawanda भाई, तुसी जिद्दे योद्धे ओ, तुसी वापस आओ।” (राजवीर भाई, आप लड़ाके हैं, आप ज़रूर ठीक होंगे)। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।

उस हादसे ने एक ज़िंदादिल, हंसमुख और मेहनती कलाकार को हमसे हमेशा के लिए छीन लिया। लोगों के लिए ये मानना मुश्किल था कि जो शख्स कल तक मंच पर अपनी आवाज़ से सबको झुमा रहा था, आज वो ख़ामोश पड़ा है।

Rajvir Jawanda की ये दुखद मौत सिर्फ़ एक सड़क हादसा नहीं थी ये एक चेतावनी थी कि ज़िंदगी कितनी नाज़ुक होती है। पलभर में सब कुछ बदल सकता है। Rajvir Jawanda के जाने के बाद पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। गाँवों में, कॉलेजों में, म्यूज़िक लवर्स के बीच हर जगह एक ही बात थी, “राजवीर चला गया… लेकिन उसकी आवाज़ हमेशा जिंदा रहेगी।”

Rajvir Jawanda का अस्पताल में संघर्ष: 11 दिन की जंग

दुर्घटना के बाद, Rajvir Jawanda ने करीब 11 से 12 दिन तक ज़िंदगी और मौत के बीच ज़बरदस्त जंग लड़ी। फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में डॉक्टरों ने हर संभव कोशिश की कि वो ठीक हो जाएँ, लेकिन उनकी हालत दिन-ब-दिन और भी नाज़ुक होती चली गई।

डॉक्टरों ने बताया कि कई टेस्ट और स्कैन खासकर MRI रिपोर्ट में ये साफ़ दिखाई दे रहा था कि उनके दिमाग़ को Hypoxic Brain Damage हुआ है, यानी उनके मस्तिष्क तक ऑक्सीजन ठीक से नहीं पहुँच पा रही थी, जिसकी वजह से दिमाग़ के कुछ हिस्सों ने काम करना बंद कर दिया था। ये बहुत गंभीर स्थिति मानी जाती है, और डॉक्टरों के मुताबिक़ ये सबसे बड़ा कारण था कि उनकी तबीयत में सुधार नहीं हो पा रहा था।

इसके अलावा, उनकी रीढ़ (Spine) की चोटें भी बेहद गहरी थीं गर्दन के हिस्से (Cervical) और पीठ के ऊपरी हिस्से (Dorsal) की कशेरुकाएँ बुरी तरह प्रभावित हुई थीं। उनके हाथ-पैरों की ताक़त लगभग खत्म हो गई थी, और शरीर में किसी तरह की गतिविधि बहुत कम रह गई थी।

डॉक्टरों का कहना था कि उनके शरीर की Neurological Activity, यानी तंत्रिका संबंधी क्रियाएँ, बहुत कम हो गई थीं। इसका मतलब ये था कि उनका दिमाग़ अब बहुत सीमित रूप से ही प्रतिक्रिया दे रहा था। कई बार तो ऐसा लगता था जैसे वो गहरी नींद में हों मगर वो नींद अब कभी नहीं खुलनी थी।

अस्पताल के अधिकारियों ने बार-बार कहा कि उनकी हालत “Guarded”, यानी बेहद अनिश्चित है। इसका मतलब था कि सुधार की उम्मीद तो थी, मगर कोई गारंटी नहीं दी जा सकती थी। परिवार के लोग दिन-रात अस्पताल में ही मौजूद थे माँ-बाप, भाई, कुछ करीबी दोस्त सब दुआ में लगे थे कि “शायद कल सुबह कोई अच्छी खबर मिले।”

उधर, सोशल मीडिया पर राजवीर जवांडा के चाहने वालों की दुआओं की लहर चल रही थी। पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री के बड़े-बड़े नाम नीरू बाजवा, गुरप्रीत घुग्गी, दिलजीत दोसांझ, रणजीत बावा, गिप्पी ग्रेवाल सबने उनके लिए प्रार्थनाएँ कीं। दिलजीत दोसांझ ने तो अपने एक लाइव कॉन्सर्ट में स्टेज पर खड़े होकर कहा था “Rajvir Jawanda मेरे छोटे भाई जैसा है, सब मिलके उसके लिए दुआ करो, वो ज़रूर वापस आएगा।”

लेकिन अफ़सोस… किस्मत ने ये दुआएँ नहीं सुनीं।

8 अक्टूबर 2025 की सुबह, करीब 10:55 बजे, फोर्टिस अस्पताल से वो खबर आई जिसने हर किसी को सन्न कर दिया Rajvir Jawanda अब इस दुनिया में नहीं रहे। डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन उनका शरीर अब किसी भी इलाज का जवाब नहीं दे रहा था। सिर्फ़ 35 साल की उम्र में, एक ऐसी आवाज़ खामोश हो गई जिसने लाखों दिलों को झंकृत किया था।

Rajvir Jawanda के निधन की पुष्टि अस्पताल प्रशासन के साथ-साथ कई जानी-मानी हस्तियों ने की। विधायक प्रताप सिंह बाजवा ने सोशल मीडिया पर ये दुखद खबर साझा की और लिखा “एक युवा, प्रतिभाशाली और सच्चे कलाकार को हमने बहुत जल्दी खो दिया। Rajvir Jawanda हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेंगे।”

जैसे ही ये खबर फैली, पंजाब और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। गाँवों में, कॉलेजों में, और सोशल मीडिया पर हर जगह सिर्फ़ एक ही नाम था Rajvir Jawanda।
लोगों की आँखें नम थीं, और कानों में अब भी उनके गानों की गूंज बाकी थी “ख़ुश रहिया कर…”

पंजाबी संगीत जगत ने Rajvir Jawanda सिर्फ़ एक गायक के रूप में नहीं, बल्कि एक सच्चे दिलवाले इंसान के रूप में याद किया। वो सिर्फ़ एक स्टार नहीं थे, बल्कि वो हर उस नौजवान के लिए प्रेरणा थे जो मेहनत और लगन से अपने सपनों को सच करने की कोशिश कर रहा है।

मृत्यु के पीछे क्या कारण है? — विश्लेषण

Rajvir Jawanda की मौत का सबसे बड़ा कारण वही गंभीर चोटें और अंदरूनी जटिलताएँ थीं, जो उन्हें उस भयानक सड़क हादसे के बाद लगीं। डॉक्टरों के मुताबिक, ये सिर्फ़ एक एक्सीडेंट नहीं था बल्कि उस एक्सीडेंट से शुरू हुई दर्दनाक लड़ाई थी, जो धीरे-धीरे उनकी ज़िंदगी को निगलती चली गई।

सबसे पहले बात करें सिर और दिमाग़ की चोट की। जब उनकी बाइक फिसली, तो उनका सिर बुरी तरह ज़मीन से टकराया। उस झटके से उनके दिमाग़ में सूजन आ गई और बाद में रिपोर्ट्स में साफ़ हुआ कि उन्हें Hypoxic Brain Damage हुआ था यानी उनके ब्रेन तक ऑक्सीजन ठीक से नहीं पहुँच रही थी। जब दिमाग़ को ऑक्सीजन नहीं मिलती, तो उसके बहुत से हिस्से धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। यही सबसे बड़ा कारण बना कि राजवीर की हालत लगातार बिगड़ती चली गई।

दूसरी बड़ी चोट थी रीढ़ की हड्डी (Spine) की। एक्सीडेंट के वक्त उनकी गर्दन (Cervical) और पीठ के ऊपरी हिस्से (Dorsal) की हड्डियाँ बुरी तरह से चोटिल हो गईं। ये वो हिस्सा होता है जहाँ से पूरा शरीर कंट्रोल होता है यानी शरीर की हर हरकत, हर एहसास, दिमाग़ से होकर इसी रीढ़ की नसों के ज़रिए चलता है। जब ये हिस्सा टूट जाता है या घायल होता है, तो हाथ-पैरों की ताक़त खत्म हो जाती है, और शरीर धीरे-धीरे सुन्न पड़ जाता है। राजवीर के साथ भी यही हुआ।

तीसरा झटका था दिल से जुड़ी घटनाएँ (Cardiac issues)। कुछ सूत्रों के मुताबिक, उन्हें दिल का दौरा (Heart attack) उस वक़्त पड़ा जब उन्हें एक्सीडेंट के बाद पहले अस्पताल ले जाया जा रहा था। जबकि कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि ये कार्डियक अरेस्ट इलाज के दौरान हुआ। दोनों ही सूरतों में, Rajvir Jawanda का दिल बहुत कमजोर पड़ गया था और यही चीज़ उनके शरीर के बाकी सिस्टम पर भारी पड़ी।

इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर और लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम पर रखा। वो मशीनों के ज़रिए साँस ले रहे थे। उनकी साँसें अब खुद की नहीं थीं मशीनों की थीं। डॉक्टरों ने हर तरह का इलाज किया ऑक्सीजन सपोर्ट, दवा, इंजेक्शन, ब्लड ट्रांसफ्यूज़न — लेकिन उनकी हालत में कोई खास सुधार नहीं आया।

कई बार डॉक्टरों ने उनके परिवार को बताया कि उनकी Neurological Activity, यानी दिमाग़ की नसों की हलचल, बहुत कम हो गई है। मतलब ये कि उनका दिमाग़ अब पहले जैसा काम नहीं कर रहा था। ब्रेन सेल्स धीरे-धीरे मरने लगे थे, और नर्व्स का कनेक्शन शरीर से टूटने लगा था।

इन तमाम चोटों और जटिल प्रक्रियाओं ने मिलकर राजवीर के शरीर को अंदर से तोड़ दिया। डॉक्टरों ने कहा था “हम पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हालत बहुत नाज़ुक है।”

वो नाज़ुक हालत दिन पर दिन और भी खराब होती गई। लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रहने से उनके शरीर के अंग कमजोर पड़ने लगे। दवाओं और ऑक्सीजन सपोर्ट के बावजूद उनकी बॉडी अब रिस्पॉन्ड नहीं कर रही थी। आख़िरकार, ये सारी गंभीर चोटें सिर की, रीढ़ की, दिल की और ऑक्सीजन की कमी से जुड़ी दिक्कतें मिलकर उनकी जान की सबसे बड़ी दुश्मन बन गईं।

उद्योग, प्रशंसक और समाज में प्रतिक्रिया

जैसे ही राजवीर जवांडा की मौत की खबर आई, पूरे पंजाबी सिनेमा और संगीत जगत में सन्नाटा और सदमे की लहर दौड़ गई। जो लोग उन्हें जानते थे चाहे उनके साथी कलाकार हों या आम श्रोता किसी को यक़ीन ही नहीं हुआ कि वो अब हमारे बीच नहीं रहे। सोशल मीडिया पर देखते ही देखते उनका नाम ट्रेंड करने लगा, और हर कोई यही कह रहा था “इतनी जल्दी क्यों चले गए राजवीर?”

उनके फैंस, दोस्तों, और सहकर्मी कलाकारों ने दिल से शोक जताया। एक्ट्रेस नीरू बाजवा ने अपने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा “Rajvir Jawanda बहुत जल्दी चला गया… उसकी मुस्कान और सादगी हमेशा याद रहेगी।” उनके शब्दों में दर्द साफ़ झलक रहा था।

गुरप्रीत घुग्गी, जो खुद एक बड़े नाम हैं पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में, उन्होंने लिखा राजवीर जैसी आवाज़ फिर शायद ही कभी सुनने को मिले। उसने सिर्फ गाने नहीं गाए, दिलों को छुआ।”

दिलजीत दोसांझ का दर्द तो पहले से ही झलक रहा था। उन्होंने कुछ दिन पहले ही अपने लाइव शो में कहा था “Rajvir Jawanda मेरे भाई जैसा है, सब उससे दुआ करो।”
लेकिन जब मौत की खबर आई, तो दिलजीत ने एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो शेयर की और सिर्फ़ लिखा “Gone too soon, brother 💔” इन चार शब्दों ने लाखों दिलों को तोड़ दिया।

उधर, सोशल मीडिया पर राजवीर का आख़िरी पोस्ट फिर से वायरल हो गया। उसमें उन्होंने लिखा था “No one will understand.” (“कोई नहीं समझेगा”) ये छोटा सा वाक्य अब लोगों के दिलों में सवाल बनकर रह गया। क्या राजवीर किसी गहरे तनाव या दर्द से गुज़र रहे थे? क्या उनके मन में कुछ था जो वो कह नहीं पाए? लोग इस पोस्ट को बार-बार पढ़ रहे थे, और हर किसी के मन में एक कसक उठ रही थी।

इसी बीच, कई पंजाबी कलाकारों ने जनता से एक खास अपील भी की कि झूठी खबरें और अफवाहें न फैलाई जाएँ। दरअसल, Rajvir Jawanda के निधन से कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर उनकी “मौत की अफवाहें” फैल चुकी थीं। तब उनके परिवार को बहुत तकलीफ़ हुई थी, और डॉक्टरों ने साफ़ कहा था कि वो अब भी वेंटिलेटर पर हैं। इसलिए जब असली खबर आई, तो लोगों ने कलाकारों की बात का सम्मान करते हुए बहुत संयम दिखाया।

Rajvir Jawanda की मौत ने सिर्फ़ संगीत जगत को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को एक बड़ा सबक भी दिया। इसने फिर से चर्चा छेड़ दी क्या हम सड़क पर सच में सुरक्षित हैं? क्या हमारे रास्ते वाकई उन जानवरों से मुक्त हैं जो अचानक बीच सड़क पर आ जाते हैं? क्या तेज़ रफ़्तार और लापरवाही अब भी हमारी सबसे बड़ी दुश्मन नहीं बनी हुई?

बहुत से लोगों ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार और समाज दोनों इस मुद्दे को गंभीरता से लें। सड़कें सिर्फ़ चलने के लिए नहीं, ज़िंदगी बचाने के लिए भी सुरक्षित होनी चाहिए। Rajvir Jawanda का जाना किसी एक कलाकार का जाना नहीं है ये एक पूरे दौर की आवाज़ का खामोश हो जाना है।

वो जो अपनी मिट्टी से जुड़े रहे, जिन्होंने अपने गानों से लोगों को मुस्कुराना सिखाया, और जिन्होंने कभी स्टारडम को अपने सिर नहीं चढ़ने दिया। Rajvir Jawanda की मौत ने हमें एक बार फिर याद दिलाया कि ज़िंदगी बेहद नाज़ुक है पलभर में सब कुछ बदल सकता है। और शायद इसीलिए, आज हर कोई यही कह रहा है “राजवीर चला गया, लेकिन उसका सुर अब भी हवा में गूंजता है…”

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