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Russia की Enteromix Cancer Vaccine
Russia ने Cancer के खिलाफ एक नई Vaccine तैयार की है, जिसका नाम Enteromix रखा गया है। यह वैक्सीन mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित है| यानी वही तकनीक जो कोरोना की वैक्सीन बनाने में भी इस्तेमाल हुई थी। Cancer आज दुनिया की सबसे खतरनाक और जानलेवा बीमारियों में गिना जाता है। यह बीमारी न सिर्फ़ इंसान के शरीर को तोड़ देती है, बल्कि इलाज की लंबी और थकाऊ प्रक्रिया मरीज और उनके परिवार दोनों पर भारी पड़ जाती है।
कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जैसे इलाज अक्सर बहुत तकलीफ़देह होते हैं। इनसे मरीज के बाल झड़ जाते हैं, शरीर बेहद कमज़ोर हो जाता है और कई बार तो इंसान मानसिक रूप से टूट जाता है। इसके अलावा, इन इलाजों का खर्च इतना ज़्यादा होता है कि आम परिवार के लिए इसे झेल पाना लगभग नामुमकिन सा हो जाता है।
इसी बीच एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। रूस ने कैंसर के खिलाफ एक नई वैक्सीन तैयार की है, जिसका नाम Enteromix रखा गया है। यह वैक्सीन mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित है| यानी वही तकनीक जो कोरोना की वैक्सीन बनाने में भी इस्तेमाल हुई थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, Enteromix ने अपने शुरुआती दौर के टेस्ट यानी प्री-क्लीनिकल और शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल्स में हैरान कर देने वाला नतीजा दिया है। दावा किया जा रहा है कि अब तक के ट्रायल्स में यह वैक्सीन 100% असरदार साबित हुई है। इस वजह से डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को उम्मीद की एक नई किरण दिखाई दी है।
सीधे शब्दों में कहें तो, अगर यह वैक्सीन आगे भी इसी तरह सफल रहती है, तो यह कैंसर के मरीजों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं होगी। अब तक जिस बीमारी को सुनकर लोग डर जाते थे, शायद आने वाले समय में उसका इलाज एक साधारण टीके से हो सके।

क्या है यह Enteromix Vaccine?
ये नई वैक्सीन mRNA टेक्नोलॉजी पर बनी है। आसान भाषा में समझें तो यही वही तकनीक है जिसका इस्तेमाल कोविड वैक्सीन बनाने में किया गया था। फर्क सिर्फ़ इतना है कि वहाँ इसका निशाना वायरस था, लेकिन इस बार इसका असली टारगेट कैंसर है।
वैज्ञानिकों ने इसमें चार ऐसे ग़ैर-हानिकारक वायरस (Harmless Viruses) का इस्तेमाल किया है, जो इंसान को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते। इन वायरस को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि ये सीधे जाकर कैंसर के सेल्स पर हमला करें और उन्हें ख़त्म कर दें।
साथ ही, ये वैक्सीन शरीर की मुक़ाबला करने की ताक़त (Immune System / प्रतिरक्षा प्रणाली) को भी जागरूक और मज़बूत कर देती है। यानी एक तरफ़ ये कैंसर सेल्स को निशाना बनाकर उनका सफाया करती है, और दूसरी तरफ़ शरीर को अंदर से इतना मज़बूत बना देती है कि वह खुद भी इस बीमारी से लड़ सके।
सीधे शब्दों में कहें तो Enteromix वैक्सीन एक तरह की दोहरी मार (Double Attack) करती है –
पहले कैंसर सेल्स को ख़त्म करती है, फिर शरीर की हिफ़ाज़त (Protection) के लिए इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाती है।
परीक्षणों की प्रक्रिया और परिणाम Preclinical Phase जानवरों पर टेस्ट
इस वैक्सीन को बनाने और परखने का काम पिछले कई सालों से चल रहा है। करीब 2021 से 2024 के बीच वैज्ञानिकों ने इसका परीक्षण सबसे पहले चूहों और कुछ दूसरे मॉडल जानवरों पर किया। नतीजे काफी चौंकाने वाले और उम्मीद जगाने वाले रहे।
इन जानवरों में जब कैंसर के ट्यूमर डाले गए और उसके बाद Enteromix वैक्सीन दी गई, तो पाया गया कि ट्यूमर का बढ़ना लगभग पूरी तरह रुक गया। इतना ही नहीं, कई मामलों में तो ट्यूमर बिल्कुल ही गायब हो गया। यानी वैक्सीन ने कैंसर सेल्स को पनपने का कोई मौका ही नहीं दिया।
सबसे बड़ी राहत की बात ये रही कि इस वैक्सीन के कारण जानवरों की सेहत पर कोई गंभीर या खतरनाक असर नहीं दिखा। इसका मतलब यह हुआ कि वैक्सीन न सिर्फ़ असरदार है, बल्कि सुरक्षित (Safe) भी है। जानवरों पर किए गए इन प्रयोगों ने ये साफ़ कर दिया कि Enteromix वैक्सीन आगे चलकर इंसानों के लिए भी नई उम्मीद की किरण बन सकती है।
परीक्षणों की प्रक्रिया और परिणाम Clinical ट्रायल मानव पर
दिसंबर 2024 में रूस ने इस वैक्सीन का फेज़-1 क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया। इस शुरुआती ट्रायल में लगभग 48 ख़ुद-से आगे आने वाले वॉलंटियर्स (स्वयंसेवक) शामिल हुए। यह वह लोग थे जिन्होंने पूरी हिम्मत के साथ इस नई दवा को अपनाने का फैसला किया, ताकि विज्ञान और इंसानियत के लिए एक नई राह बन सके।
कुछ ही महीनों में जो नतीजे सामने आए, उन्होंने दुनिया भर के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को हैरान कर दिया। रूस सरकार ने एलान किया कि शुरुआती ट्रायल्स काफी कामयाब (Successful) रहे। सबसे बड़ी राहत यह रही कि किसी भी मरीज में गंभीर साइड इफ़ेक्ट्स देखने को नहीं मिले।
दूसरी अहम बात यह रही कि मरीजों के शरीर में मौजूद ट्यूमर का आकार 60% से 80% तक घट गया। इतना ही नहीं, मरीजों के ज़िंदगी गुज़ारने का वक़्त (Life Span) भी बेहतर हुआ। यानी उन्होंने पहले की तुलना में ज़्यादा लंबी और सेहतमंद ज़िंदगी जी।
मरीजों ने यह भी बताया कि इलाज के दौरान उन्हें ज़्यादा तकलीफ़ नहीं हुई और उनकी बरदाश्त करने की क्षमता (Tolerance) बढ़ गई। Enteromix वैक्सीन ने न सिर्फ़ कैंसर के ट्यूमर को छोटा किया, बल्कि मरीजों की ज़िंदगी की मियाद (जीवनकाल) और क्वालिटी-ए-ज़िंदगी (जीवन की गुणवत्ता) दोनों को बेहतर बना दिया।
Enteromix का पहला लक्ष्य: कोलोरेक्टल कैंसर
रूस ने साफ़ कर दिया है कि Enteromix वैक्सीन का इस्तेमाल सबसे पहले कोलोरेक्टल कैंसर (यानि पाचन तंत्र से जुड़ा कैंसर) के इलाज के लिए किया जाएगा। यह फैसला यूं ही नहीं लिया गया, क्योंकि कोलोरेक्टल कैंसर आज दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों की शीर्ष वजहों में से एक है। हर साल लाखों लोग इस बीमारी से जान गंवाते हैं, और डॉक्टरों के लिए इसका प्रभावी इलाज ढूँढना हमेशा से एक चुनौती रहा है।
इसके साथ ही वैज्ञानिक अब इस वैक्सीन के अगले वर्ज़न (Next Versions) पर भी काम कर रहे हैं। इनका मकसद उन कैंसर प्रकारों को निशाना बनाना है जिन्हें अब तक सबसे खतरनाक और मुश्किल इलाज़ वाला माना जाता है।
इनमें शामिल हैं – ग्लियोब्लास्टोमा (Glioblastoma) – यह दिमाग का एक बेहद आक्रामक और जानलेवा ट्यूमर होता है। स्पेशल टाइप्स ऑफ़ मेलेनोमा (Melanoma) – यह त्वचा और आँखों में होने वाला कैंसर है, जो बहुत तेजी से फैल सकता है।
हालाँकि इन नए वर्ज़नों पर रिसर्च अभी शुरुआती स्टेज में है, लेकिन वैज्ञानिकों को भरोसा है कि अगर शुरुआती सफलता इसी तरह जारी रही, तो आने वाले समय में Enteromix वैक्सीन कई जानलेवा कैंसरों के लिए उम्मीद की नई दवा बन सकती है।
Cancer Vaccine पर विशेषज्ञों की राय़
शुरुआती नतीजे बहुत ही प्रेरक और आशाजनक दिखाई दे रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों ने कहा है कि अब सावधानी रखना बहुत ज़रूरी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगला कदम फेज़-2 और फेज़-3 के क्लीनिकल ट्रायल्स करना है। इन चरणों में ज्यादा मरीज शामिल होंगे, और इससे पता चलेगा कि यह वैक्सीन वास्तव में हर तरह की परिस्थिति में असरदार और सुरक्षित है या नहीं।
याद रखिए, क्लीनिकल ट्रायल्स का मुख्य मकसद शुरुआत में वैक्सीन की सुरक्षा (Safety) और शुरुआती प्रतिक्रिया (Initial Response) को देखना होता है।
लेकिन यह तय करने के लिए कि वैक्सीन का असर लंबे समय और बड़े पैमाने पर कितना कारगर है, इसके अगले बड़े चरणों की ज़रूरत पड़ेगी। Enteromix वैक्सीन ने बहुत उम्मीदें जगाई हैं, लेकिन असली परीक्षा अभी बाकी है, और सही निष्कर्ष तभी निकलेगा जब बड़े ट्रायल्स पूरे हो जाएँ।
Cancer के इलाज के लिए यह है चमत्कार की उम्मीद
इस वैक्सीन की सफलता की खबर को बहुत से लोगों ने ‘मेडिकल चमत्कार’ कहा है। वजह साफ़ है—अगर यह वैक्सीन आगे भी इसी तरह काम करती है, तो कैंसर के इलाज का पूरा तरीका ही बदल सकता है।
Enteromix केवल इलाज की प्रक्रिया को नहीं बदलेगी, बल्कि इससे मरीजों तक इलाज की पहुँच आसान होगी और उनके जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। यानी मरीज सिर्फ़ लंबे और दर्दनाक इलाज से जूझने के बजाय, कम समय और कम तकलीफ़ में स्वस्थ जीवन पा सकते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यह वैक्सीन सटीक और व्यक्तिगत चिकित्सा (Precision Medicine) की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका मतलब यह है कि वैक्सीन मरीज की खास परिस्थितियों और उसके शरीर की कोशिकाओं को ध्यान में रखकर तैयार की जाती है, ताकि उसका असर अधिकतम और सुरक्षित हो।
रूस की Enteromix वैक्सीन ने शुरुआती परीक्षणों में 100% सुरक्षा और असर दिखाया है, जो अपने आप में बहुत प्रेरक खबर है। अगर आने वाले बड़े ट्रायल्स भी सफल रहे, तो यह वैक्सीन कैंसर के इलाज में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
अभी फिलहाल, इसे एक उम्मीद की नई किरण माना जा रहा है। यह संकेत देती है कि भविष्य में कैंसर जैसी खौफनाक बीमारी भी पुराने जमाने की बात बन सकती है। रूस का यह कदम लाखों कैंसर मरीजों के लिए नई उम्मीद जगाता है| बशर्ते कि वैज्ञानिक परीक्षण सफल रहें और वैक्सीन को पूरी तरह मंजूरी मिले।
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