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Sant Premanand ji महाराज: India से Makka तक फैली दुआएँ, प्रेमनंद जी की तबियत पर देश भर में Worry और दुआएँ

Sant Premanand ji महाराज: India से Makka तक फैली दुआएँ, प्रेमनंद जी की तबियत पर देश भर में Worry और दुआएँ

Sant Premanand ji महाराज – आज की समस्या और असीम श्रद्धा

Sant Premanand ji महाराज जिनका नाम सुनते ही दिल में एक अजीब सी श्रद्धा और सुकून का एहसास होता है वो सिर्फ वृंदावन या मथुरा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनकी भक्ति की महक पूरे देश और दुनिया में फैल चुकी है। उनके प्रवचन, सत्संग और उनकी विनम्रता ने लाखों लोगों के दिलों में जगह बना ली है। चाहे हिंदू धर्म के अनुयायी हों या किसी और मज़हब के लोग हर कोई उनके व्यक्तित्व से प्रभावित है।

लेकिन हाल के दिनों में Sant Premanand ji महाराज जी की तबीयत को लेकर थोड़ी चिंता की खबरें सामने आईं। बताया गया कि अचानक Premanand ji की तबीयत बिगड़ गई, जिस वजह से उनकी रात्रि पदयात्रा रोकनी पड़ी। ये सुनकर उनके चाहने वालों के दिल में बेचैनी फैल गई सब यही सोच में पड़ गए कि आखिर क्या हुआ महाराज जी को?

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स, जैसे दैनिक भास्कर वगैरह में लिखा गया कि उन्हें सीने में दर्द की शिकायत हुई थी, जिसके बाद डॉक्टरों ने उनका चेकअप किया। जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि अब सब ठीक है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यानी कोई बड़ी बात नहीं थी, बस थोड़ा आराम की ज़रूरत थी।

हालांकि, कुछ दूसरी खबरों में ये भी कहा गया कि Premanand ji महाराज जी को पहले से किडनी की हल्की परेशानी थी, और वही वजह से स्वास्थ्य थोड़ा डगमगा गया। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि “तबीयत खराब होने” की बात सिर्फ अफवाह थी महाराज जी एकदम स्वस्थ हैं और अपने नियमित कार्यों में लगे हुए हैं।

अब इन सब बातों से भक्तों में थोड़ी उलझन तो ज़रूर है कौन सी खबर सच है, कौन सी नहीं ये कहना मुश्किल है। लेकिन एक बात तय है: Sant Premanand ji महाराज के प्रति लोगों की श्रद्धा और मोहब्बत ज़रा भी कम नहीं हुई है।

हर तरफ उनके लिए दुआएँ माँगी जा रही हैं कोई मंदिर में दीपक जला रहा है, कोई जप कर रहा है, तो कोई बस आसमान की तरफ हाथ उठाकर यही कह रहा है, “हे प्रभु, हमारे प्रेमानंद जी महाराज को जल्द पूरी तंदरुस्ती अता फरमा।”

Sant Premanand महाराज जी हमेशा कहते हैं “भक्ति में सच्चाई हो तो भगवान खुद रास्ता बना देते हैं।” उनके भक्त भी उसी भरोसे पर हैं कि महाराज जी फिर पहले की तरह स्वस्थ होकर, मुस्कुराते हुए, सबको आशीर्वाद देते नज़र आएँगे।

विश्वभर में आस्था की परम्परा मक्का/मदीना से एक अनूठी दुआ

जब Sant Premanand ji महाराज की तबियत को लेकर खबरें फैलीं, तो सिर्फ़ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में उनके चाहने वालों के दिल बेचैन हो उठे। हर तरफ़ से दुआएँ, अरदासें और प्रार्थनाएँ होने लगीं कोई मंदिर में दीपक जला रहा था, कोई घर में जप कर रहा था, तो कोई बस आँखें बंद करके भगवान से विनती कर रहा था कि “हे प्रभु, हमारे Sant Premanand ji महाराज जी को जल्दी से ठीक कर दो।”

इसी बीच एक बहुत ही ख़ास और दिल को छू लेने वाली घटना सामने आई जिसने सबका ध्यान अपनी तरफ़ खींच लिया। बताया गया कि एक मुस्लिम युवक, जिसका नाम कुछ रिपोर्ट्स में सुफ़ियान और कुछ में अब्दुल रहीम बताया गया, उसने मदीना (या मक्का) में खड़े होकर संत प्रेमानंद जी महाराज की सेहत के लिए दुआ की।

उसने अपने दोनों हाथ उठाए, आँखें बंद कीं और कहा कि वो अल्लाह से अर्ज़ कर रहा है कि Sant Premanand ji महाराज जी को जल्द से जल्द पूरी शिफ़ा (स्वास्थ्य) मिले, वो फिर से अपने भक्तों के बीच मुस्कुराते हुए लौटें। उस पल का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया और लोगों के दिल को गहराई से छू गया।

ये कोई आम घटना नहीं थी। एक ओर मदीना की पाक धरती, दूसरी ओर वृंदावन के एक महान संत और बीच में एक इंसान की सच्ची मुहब्बत और इंसानियत की दुआ। इसने ये साबित कर दिया कि धर्म अलग हो सकते हैं, मगर दिल की भाषा एक ही होती है मोहब्बत और श्रद्धा।

सोशल मीडिया पर लोगों ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा “यही है असली भारत की खूबसूरती, जहाँ राम और रहीम दोनों के नाम में एक सी मिठास है।” भक्तों ने कहा कि यह दृश्य अपने आप में एक संदेश है कि जब बात सच्चे प्रेम, भक्ति और मानवता की आती है, तो न कोई मज़हब छोटा पड़ता है और न कोई दीवार टिकती है।

आज भी लोग उसी जोश के साथ महाराज जी के लिए दुआ कर रहे हैं कोई ‘जय श्री राधे’ कह रहा है, तो कोई ‘इनशाअल्लाह’। मगर मक़सद सबका एक ही है “Sant Premanand ji महाराज जी सलामत रहें, तंदरुस्त रहें और सदा यूँ ही सबका मार्गदर्शन करते रहें।”

Sant Premanand ji: मक्का से उठती दुआ, भारत में गूँजती आशा

ज़रा सोचिए मदीना की उस पवित्र ज़मीन पर एक नौजवान खड़ा है। आसमान की तरफ़ उसके दोनों हाथ उठे हुए हैं, आँखों में नमी है और लबों पर एक सच्ची सी पुकार “या अल्लाह, हमारे Premanand ji महाराज को जल्द से जल्द तंदरुस्ती अता फरमा।”

उसकी आवाज़ में सच्चाई थी, दिल में मोहब्बत थी। लहजा भले उर्दू का था, मगर एहसास हिंदुस्तान की आस्था से भरा हुआ था। वो सिर्फ़ एक इंसान था न हिंदू, न मुसलमान बस एक ऐसा बंदा जो किसी संत के लिए दुआ कर रहा था।

कहा जाता है कि वो युवक कश्मीर के उरी इलाके से था वही जगह जहाँ रातों में लोग भजन, कीर्तन और अल्लाह का नाम एक साथ लेते हैं। वहाँ से उठी ये दुआ मदीना की पाक हवाओं में घुल गई और फिर हिंदुस्तान के लाखों घरों तक पहुँच गई।

जिन घरों में Sant Premanand ji महाराज के भक्त दीपक जलाकर बैठे थे, उनकी आँखों में जो उम्मीद झिलमिला रही थी “Sant Premanand ji महाराज ठीक हो जाएँ” वो उम्मीद जैसे उस युवक की दुआ के साथ उड़ चली। किसी ने मंदिर में फूल चढ़ाए, किसी ने नमाज़ के बाद हाथ उठाए मगर सबका मक़सद एक ही था: महाराज जी की सलामती।

इस एक नज़ारे ने लोगों के दिलों में एक गहरा यक़ीन पैदा किया कि इंसानियत और श्रद्धा की कोई सरहद नहीं होती। धर्म अलग-अलग हो सकते हैं, मगर जब दिल से दुआ निकलती है, तो वो सीधे रब तक पहुँचती है। और शायद यही इस घटना का सबसे बड़ा पैग़ाम है “जब मोहब्बत सच्ची हो, तो राम भी सुनते हैं और रहमान भी।”

प्रार्थना की शक्ति: प्रेम, आस्था और विश्वास

धर्मग्रंथों में और संतों की बातों में हमेशा ये कहा गया है कि “दुआ और प्रार्थना” में बहुत ताक़त होती है। जब इंसान सच्चे दिल से अपने माता-पिता, गुरु या भगवान को याद करता है, तो उसके दिल में एक अजीब सी शांति और ऊर्जा पैदा होती है जैसे कोई अदृश्य ताक़त उसे संभाल रही हो।

मक्का से जो दुआ निकली, वो हमें यही याद दिलाती है कि भक्ति और श्रद्धा की कोई सरहद नहीं होती। धर्म, जात-पात या मज़हब सब इंसान के बनाए हुए हैं, मगर जब दिल से दुआ उठती है, तो वो सीधे ऊपर वाले तक पहुँचती है। उस वक्त न कोई हिंदू होता है, न मुसलमान बस एक इंसान होता है जो किसी और इंसान की भलाई चाहता है।

ये दुआ सिर्फ़ एक आवाज़ नहीं थी ये उम्मीद का एक पैग़ाम थी, जिसने सबको एहसास दिलाया कि इंसानियत, किसी भी धर्म से बड़ी होती है। संकट के समय में, जब सब तरफ़ चिंता और बेचैनी होती है, तब यही सच्ची दुआ और श्रद्धा दिल को सुकून देती है, उम्मीद देती है।

Sant Premanand ji महाराज हमेशा यही सिखाते हैं कि धर्म को बाँटने वाला नहीं, जोड़ने वाला होना चाहिए। वो अक्सर कहते हैं “अगर कोई सड़क पर नमाज़ पढ़ रहा है और उसकी भावना ईश्वर से जुड़ने की है, तो उस पर बुरा कैसे कह सकते हो?”

उनके ये शब्द सिर्फ़ सुनने के लिए नहीं हैं, बल्कि समझने के लिए हैं। यही वजह है कि महाराज जी की शिक्षाएँ सिर्फ़ हिंदू भक्तों तक सीमित नहीं, बल्कि हर धर्म और मज़हब के लोगों को सोचने और बदलने की प्रेरणा देती हैं।

असल में, सच्ची भक्ति वही है जहाँ दिल साफ़ हो, भावना सच्ची हो, और किसी के लिए दुआ करने में कोई भेदभाव न हो। क्योंकि जब मोहब्बत और श्रद्धा मिल जाएँ, तो वहीं से भगवान या अल्लाह का असली एहसास शुरू होता है।

भक्त-आँखों की नम दुआ और राष्ट्र की आशा

जब ये खबर आई कि Sant Premanand ji महाराज की तबियत कुछ ठीक नहीं है, तो उनके चाहने वालों के दिल जैसे थम से गए। हर तरफ़ बेचैनी थी कोई मंदिरों में दीपक जला रहा था, कोई आश्रम में भजन कर रहा था, तो कोई अपने घर के कोने में बैठकर बस यही कह रहा था, “हे प्रभु, हमारे महाराज जी को जल्दी से ठीक कर दो।”

ये सिर्फ़ भारत के मंदिरों तक सीमित नहीं रहा। गाँवों की गलियों से लेकर बड़े शहरों तक, यहाँ तक कि सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अपने अंदाज़ में प्रार्थनाएँ शुरू कर दीं। किसी ने लिखा “महाराज जी स्वस्थ रहें,” किसी ने लिखा “उनकी मुस्कान फिर से लौट आए।” ये मानो सूरज की रोशनी की तरह आशा फैलाने वाला माहौल बन गया।

इसी बीच मदीना से आई एक दुआ ने सबका दिल छू लिया। एक मुस्लिम युवक ने वहाँ खड़े होकर प्रेमानंद जी महाराज की सेहत के लिए दुआ माँगी अल्लाह से अर्ज़ की कि वो संत को पूरी शिफ़ा दें। उस पल का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, और हर कोई यही कहने लगा “देखो, यही है असली भारत जहाँ धर्म से ऊपर इंसानियत होती है।”

वो नज़ारा सिर्फ़ एक वीडियो नहीं था, बल्कि एक पैग़ाम था कि भक्ति और इंसानियत की कोई दीवार नहीं होती। सच्ची श्रद्धा वहीं होती है, जहाँ दिल साफ़ हो और भावना सच्ची। महाराज जी हमेशा यही कहते हैं “धर्म बाँटने के लिए नहीं, जोड़ने के लिए होता है।” उनकी बातें हमें यही सिखाती हैं कि चाहे आप मंदिर में हों या मस्जिद में, चर्च में हों या गुरुद्वारे में अगर आपकी नीयत नेक है, तो आपकी दुआ ज़रूर कबूल होगी।

इसलिए डरने या अफवाहों पर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं। संयम रखिए, विश्वास रखिए क्योंकि भक्ति और सकारात्मक सोच ही सच्ची दवा है। और सबसे अहम बात दुआ सिर्फ़ अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए भी माँगिए। उस युवक की दुआ की तरह, हम सब भी एक-दूसरे के लिए दुआ कर सकते हैं। श्रीहरि की सेवा और मानवता की सेवा यही सबसे बड़ी पूजा है।

Sant Premanand ji महाराज की तबियत की खबर ने भले ही चिंता दी हो, मगर उसी के बीच मक्का से उठी वह दुआ एक नई उम्मीद बनकर सामने आई ये बताने के लिए कि जब दिल से कोई सच्ची दुआ उठती है, तो वो अंधेरी रात में भी एक दीपक की तरह उजाला कर देती है।

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