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कैसे ₹2,500 बजट वाला कॉस्ट्यूम बना Bollywood Legend की पहचान Manish Malhotra की Journey जिसने fashion की परिभाषा बदल दी, Hard Work + Heart Work यही फॉर्मूला बना मनीष मल्होत्रा की success की चाबी

कैसे ₹2,500 बजट वाला कॉस्ट्यूम बना Bollywood Legend की पहचान Manish Malhotra की Journey जिसने fashion की परिभाषा बदल दी, Hard Work + Heart Work यही फॉर्मूला बना मनीष मल्होत्रा की success की चाबी

Manish Malhotra का बड़ा खुलासा “₹2,500 कॉस्ट्यूम बजट में ₹5,000 खर्च कर दिए

“कभी सोचा ही नहीं कि ₹500 बचा लूं… काम पैसे के लिए नहीं, दिल से किया” Manish Malhotra की दास्तान फिल्मों की दुनिया बाहर से जितनी चमकदार और रोशन दिखती है, अंदर उतनी ही मेहनत, जज़्बा और दीवानगी छुपी होती है।

पर्दे पर सितारे जितने खूबसूरत लगते हैं, पर्दे के पीछे उतने ही लोग दिल से अपना सब कुछ लगा देते हैं। उन्हीं में से एक नाम Manish Malhotra।

हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने शुरुआती दिनों की एक ऐसी बात बताई जिसने पूरे बॉलीवुड का ध्यान खींच लिया। बात भले छोटी लगे, लेकिन उसके पीछे की भावना बहुत बड़ी है।उन्होंने बताया कि जब वह इंडस्ट्री में नए थे, उन्हें एक फिल्म के लिए कॉस्ट्यूम डिज़ाइन करने का काम मिला।

बजट था ₹2,500। लेकिन रोल, किरदार और फिल्म की स्टोरी इतनी दिल में उतर गई कि वह बजट की परवाह करना ही भूल गए। डिज़ाइन बनाते-बनाते, फैब्रिक चुनते-चुनते, डिटेलिंग पर मेहनत करते-करते कुल खर्च पहुंच गया ₹5,000 तक।और पैसे कोई उनसे मांग नहीं रहा था वो खुद अपनी जेब से लगा रहे थे।

इस पर Manish Malhotra का बहुत सीधा मगर दिल छू लेने वाला जवाब था: “ये कभी भी ऐसा नहीं था कि main ₹500 andar kar leta hu… मैंने कभी ये सोचकर काम नहीं किया कि कैसे बचत कर लूँ। मैंने हमेशा दिल से किया जो सही लगा वही किया।”

बस यह एक वाक्य है, लेकिन इसमें पूरी ज़िंदगी की कहानी छुपी है संघर्ष भी, तन्हाई भी, मेहनत भी और कला के लिए सच्ची मोहब्बत भी।काम, मज़दूरी नहीं जुनून थाकई लोग काम को सिर्फ रोज़गार की तरह करते हैं पर कुछ लोग काम को इबादत बना लेते हैं।मनीष मल्होत्रा ने भी वही किया।

फिल्म के लिए कपड़े बनाना उनके लिए सिर्फ सिलाई-कढ़ाई नहीं था बल्कि किरदार को ज़िंदा करना था।उन्हें फर्क पड़ता था किएक्टर जब कॉस्ट्यूम पहनेगा तो क्या महसूस करेगा…क्या उसे किरदार की रूह महसूस होगी…क्या वो कपड़ा सिर्फ कपड़ा रहेगा या कहानी का हिस्सा बन जाएगा…पैसा गिनकर यह एहसास पैदा नहीं होता ये तो दिल से काम करने वालों की दुनिया है।

एक जज़्बे ने बदल दी ज़िंदगीशुरुआत में लोग उन्हें शायद “एक डिज़ाइनर” के तौर पर जानते थे लेकिन जल्द ही पूरी इंडस्ट्री समझ गई कि ये लड़का कपड़े नहीं, किरदार और स्टाइल बनाता है।

धीरे-धीरे उनके डिज़ाइन पहचान बनने लगे,उनके आउटफिट्स ट्रेंड बनने लगे,और Manish Malhotra का नाम बॉलीवुड फैशन की पहचान बन गया।आज पूरी दुनिया जानती है किमनीष मल्होत्रा सिर्फ ब्रांड नहीं एक लेजेंड हैं।पर ये ऊँचाई अचानक नहीं आई।

ये उसी दिन शुरू हो गई थी जिस दिन उन्होंने ₹2,500 के बजट में ₹5,000 लगा दिए थे।क्योंकि जिस इंसान का नजरिया यह हो कि“काम में बचत नहीं, जान डालो”उसकी मंज़िल को कोई रोक नहीं सकता।

आज भी स्वभाव वही है दिल से कामचाहे आज वह करोड़ों की डिज़ाइनिंग कर रहे हों,चाहे उनके शो इंटरनेशनल रनवे पर होते हों,चाहे बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक उनके क्लाइंट हों फिर भी उनका दिल आज भी वैसा ही है।

वो कहते हैं “कला को पैसे की बंदिशों से गिरा नहीं सकते। पैसा बाद में आता है। असली चीज़ होती है जुनून और कमिटमेंट।”और यही बात आज के युवाओं के लिए सबक बन गई है काम ऐसा करो कि दिल भी खुश हो और दुनिया भी याद रखे।

अगर उस दिन Manish Malhotra ₹500 बचाने के बारे में सोच लेते,अगर वो भी सिर्फ हिसाब-किताब वाले प्रोफेशनल की तरह सोचते तो शायद आज उनका नाम इतिहास में नहीं होता।कुछ लोग कमाने के लिए काम करते हैं,पर कुछ लोग काम के दम पर कमाई को बुला लेते हैं।और मनीष मल्होत्रा उसी दूसरी कैटेगरी के इंसान हैं।

Manish Malhotra: कॉस्ट्यूम बजट से ज्यादा खर्च — लेकिन क्यों?

शुरुआती दिनों में Manish Malhotra हर फिल्म के कॉस्ट्यूम को सिर्फ कपड़ा या ड्रेस नहीं समझते थे, बल्कि किरदार की असली पहचान मानते थे। उस ज़माने में न सोशल मीडिया का शोर था, न इंटरनेशनल ब्रांड्स की लाइन लगी थी।

लेकिन सिनेमा का जुनून आसमान छू रहा था। बड़े-बड़े सपनों वाली फिल्में बन रही थीं और उन सपनों को पूरा करने के लिए पर्दे के पीछे भी उतने ही बड़े-सपनों वाले फनकार मौजूद थे।

Manish Malhotra बताते हैं कि जब उन्हें पहली बार कॉस्ट्यूम डिज़ाइन करने का काम मिला, तब पूरा बजट सिर्फ ₹2,500 था। लेकिन उन्होंने किरदार की बॉडी लैंग्वेज, उसके जज़्बात, पूरी कहानी, फिल्म का लुक और पूरी विज़न को ध्यान में रखते हुए पूरा सेटअप बनाया।

डिटेलिंग इतनी सोच-समझकर की कि बजट कम पड़ गया और फिर उन्होंने अपनी जेब से पैसे जोड़कर खर्च पूरा किया।उनके दिल से निकले शब्द आज भी लोगों को याद हैं:“मैं चाहता था कि एक्टर जब वो कॉस्ट्यूम पहने, तो उसे लगे कि वो किरदार बन गया है… सिर्फ ड्रेस नहीं पहनी। पैसा गिनकर वो एहसास वो जज़्बा पैदा नहीं होता।”

ये एक लाइन ही साबित करने के लिए काफी है कि सच्ची कला और ईमानदार काम सिर्फ हिसाब-किताब से नहीं बनते।उसके लिए दिल की लगन, मेहनत और सफ़ाई से भरा हुआ विज़न चाहिए फिर चाहे जेब खाली क्यों ना करनी पड़े।और यही जुनून उनका सबसे बड़ा Turning Point बना।

90 के दशक में जब बॉलीवुड बदल रहा था फिल्मों का स्टाइल बदल रहा था, कपड़ों की सोच बदल रही थी, किरदारों का लुक और प्रेजेंटेशन एक नए दौर में प्रवेश कर रहा था तभी Manish Malhotra एक डिज़ाइनर से आगे बढ़कर ट्रेंडसेटर बनकर सामने आए।

दिल तो पागल है,कभी खुशी कभी गम,वीर-ज़ारा,हम दिल दे चुके सनम,कुछ कुछ होता है,दोस्ताना,रॉकी और रानी ऐसे अनगिनत फ़िल्मी लुक्स और आइकॉनिक स्टाइलिंग आज भी लोगों के दिमाग में इसलिए जिंदा हैं क्योंकि उनके पीछे मनीष मल्होत्रा का जादू था।एक इंटरव्यू में उन्होंने एक बेहद खूबसूरत बात कही थी: “पहचान धीरे-धीरे बनती है… लेकिन अगर आपका काम सच्चा है, दिल से किया हुआ है, तो लोग आपको पहचानने से खुद को रोक नहीं पाते।”

इस बात से पूरी तरह साफ पता चलता है कि शुरुआती संघर्ष, मेहनत, सब्र और जुनून ने उन्हें वहां पहुंचाया जहां आज उनका नाम बॉलीवुड फैशन का दूसरा नाम बन चुका है।आज मनीष मल्होत्रा सिर्फ डिज़ाइनर नहीं एक ब्रांड, एक लेगेसी, और असल मायने में फैशन की पहचान हैं।

Manish Malhotra: आज की दुनिया में कॉस्ट्यूम सिर्फ स्टाइल नहीं — पूरी इंडस्ट्री है

90 के दशक में फिल्मों की दुनिया कितनी अलग हुआ करती थी उस वक्त एक कॉस्ट्यूम के लिए ₹2,500 का बजट बिल्कुल नॉर्मल माना जाता था। उसी रकम में कपड़ा, सिलाई, डिज़ाइन, फिटिंग सब कुछ मैनेज करना पड़ता था।

न आज जैसा हाइप था, न फैशन इंडस्ट्री का इतना बड़ा खेल। उस दौर में बस कहानी और किरदार सबसे आगे होते थे, और कॉस्ट्यूम सिर्फ उनकी ज़रूरत पूरी करने का एक हिस्सा होता था।

लेकिन वक्त बदला, सोच बदली और बॉलीवुड का पैमाना आसमान छू गया।आज फिल्मों में सिर्फ कपड़े नहीं होते करोड़ों रुपये के कॉस्ट्यूम बनाए जाते हैं।हर प्रोजेक्ट के लिए पूरी स्पेशल डिज़ाइनर टीम, इंटरनेशनल फैशन ब्रांड्स, कैरेक्टर आधारित गहरी रिसर्च, और डिजिटल फैशन प्लानिंगफिल्म का हिस्सा बन चुके हैं।

यानि अब कॉस्ट्यूम बनाना कपड़े की खरीदारी का काम नहीं पूरी साइंस और आर्ट बन चुका है।और इस बड़े बदलाव के सफर में सबसे पहला नाम जो नींव की तरह खड़ा दिखाई देता है वह मनीष मल्होत्रा हैं।

उन्हें इंडस्ट्री में बेसलाइन कहा जाता है क्योंकि उन्होंने ही दुनिया को यह नज़रिया दिया कि “कपड़ा सिर्फ कपड़ा नहीं होता, कपड़ा कहानी का हिस्सा होता है।”उनका मतलब बिल्कुल साफ था जब एक्टर पर्दे पर आता है तो वो सिर्फ ड्रेस नहीं पहनता, वह उस किरदार की ज़िंदगी, उसकी फीलिंग्स, उसकी रूह अपने अंदर उतारता है।

और यह जादू तभी होता है जब कॉस्ट्यूम में दिल, सोच और क्रिएटिविटी डाली जाए सिर्फ पैसे का हिसाब नहीं।यही वजह है कि आज बॉलीवुड, फैशन, रनवे और बड़े-बड़े डिज़ाइन हाउस सब मानते हैं कि जिस दिन यह सोच बदली, उसी दिन इंडस्ट्री का लेवल बदल गया।और इस सोच को बदलने वाले शख्स का नाम है Manish Malhotra।

नए जमाने के कलाकारों के लिए Manish Malhotra का संदेश

Manish Malhotra की कहानी सिर्फ बॉलीवुड, फैशन या फिल्मों तक सीमित नहीं है ये कहानी हर उस इंसान के लिए सबक है जो क्रिएटिव दुनिया में काम करता है,जो अपने काम से मोहब्बत करता है,जो सपने देखता है और उन सपनों के लिए मेहनत करने का हौसला रखता है।

सच्चाई बहुत साफ़ है पैशन के बिना क्रिएटिविटी सिर्फ एक खाली खोल है,जिसमें चमक तो होती है, लेकिन रूह नहीं होती।और जब काम दिल से किया जाए, इरादे साफ़ हों और नीयत मजबूत तो रिज़ल्ट अपने आप सामने आता है।

उसके बाद इनाम, शोहरत और पहचान कदमों में चलते-चलते खुद आ जाते हैं।यही वजह है कि मनीष मल्होत्रा का संदेश हर युवा डिजाइनर, हर नए कलाकार और हर स्ट्रगलर के दिल पर सीधा असर करता है।

उन्होंने बहुत खूबसूरती से कहा था – “काम पैसे के लिए मत करो। पैसे बाद में भी आ जाएंगे।पहले अहमियत दो अपने काम को, अपनी कला को और अपने विज़न को।”ये लाइन सिर्फ सलाह नहीं पूरी ज़िंदगी का अनुभव है, तपकर निकला हुआ सच है।

असली जीत क्या है?

आज Manish Malhotra अपना खुद का फैशन ब्रांड चलाते हैं,इंटरनेशनल लेवल पर डिज़ाइनर के रूप में पहचाने जाते हैं,और दुनिया के बड़े-बड़े सेलेब्रिटीज़ उनकी डिज़ाइनिंग के दीवाने हैं।

यानी अब वो Global Celebrity Designer बन चुके हैं और यह मुकाम कम लोगों को मिलता है।लेकिन उनके सफ़र की सबसे खूबसूरत बात यह है किइतनी बड़ी ऊँचाइयों पर पहुंचने के बाद भी वह अपनी शुरुआत नहीं भूले।वो आज भी याद रखते हैं कि जब उनके पास बहुत कम था,फिर भी उन्होंने कंजूसी नहीं क्वालिटी चुनी थी।वो मानते हैं।

अगर उस दिन उन्होंने ₹2,500 के बजट में₹500 बचाकर अपनी जेब में डालने के बारे में सोचा होता,तो शायद आज वो मनीष मल्होत्रा नहीं बन पाते।यह कहानी यही सिखाती है किसपनों और सफलता के बीच सिर्फ टैलेंट नहीं खड़ा होता,बल्कि ईमानदारी, जुनून और भरपूर मेहनत खड़ी होती है।

₹2,500 बजट में ₹5,000 खर्च करना बिज़नेस के हिसाब से शायद गलत था लेकिन कला के पक्ष में बिल्कुल सही था।और वही “गलत बिज़नेस वाला फैसला”एक डिज़ाइनर को Bollywood Legend बनाने की बुनियाद साबित हुआ।

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