प्रारंभिक जीवन :रागिनी विश्वकर्मा का जन्म बिहार के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने अपने बचपन से ही संगीत में रुचि विकसित की थी, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण उन्हें औपचारिक संगीत शिक्षा नहीं मिल पाई।

संगीत की शुरुआत: रागिनी ने अपने पिता से हारमोनियम बजाना सीखा और गाँव की गलियों में प्रदर्शन कर लोगों का मनोरंजन करना शुरू किया।

स्थानीय पहचान: सड़क पर प्रदर्शन करते हुए, रागिनी की आवाज़ को एक स्थानीय संगीत स्टूडियो के मालिक ने पहचाना, जिसके बाद उन्होंने रागिनी को रिकॉर्डिंग का मौका दिया।

यूट्यूब पर प्रसिद्धि: रागिनी के गाने यूट्यूब पर अपलोड किए गए, जहां उन्हें बड़ी पहचान मिली और उनकी आवाज़ ने लाखों दर्शकों का दिल जीता।

लोकप्रिय गाने: उनका गाना "पंखा कूलर से न गर्मी बुझाला" काफी हिट हुआ और इसे 95 लाख से ज्यादा व्यूज मिले। इसके अलावा, उनके कई अन्य गाने भी लोकप्रिय हुए हैं।

भोजपुरी संगीत में योगदान: रागिनी ने भोजपुरी संगीत को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया और इस क्षेत्र में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई।

मैनिक' गाने की सफलता: प्रसिद्ध रैपर यो यो हनी सिंह के गाने 'मैनिक' में रागिनी की आवाज़ को भोजपुरी हिस्से के लिए चुना गया, जो गाने को और भी खास बना गया।

भोजपुरी में एक नया आयाम: रागिनी की आवाज़ ने भोजपुरी संगीत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया, खासकर 'मैनिक' जैसे गाने के माध्यम से।

संगीत उद्योग में ऊँचाइयाँ: रागिनी विश्वकर्मा ने संगीत उद्योग में संघर्ष के बाद एक मजबूत स्थान हासिल किया और अपने संघर्षों से प्रेरणा देने वाली एक प्रेरणास्त्रोत बन गईं।