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Bihar Election 2025: Digha सीट पर Divya Gautam की Powerful Candidacy और राजनीतिक संदर्भ

Bihar Election 2025: Digha सीट पर Divya Gautam की Powerful Candidacy और राजनीतिक संदर्भ

Bihar Election 2025: दिग्घा सीट पर Divya Gautam की उम्मीदवारी

Bihar Election 2025: सुशांत सिंह राजपूत की कज़िन Divya Gautam अब मैदान में, INDIA गठबंधन ने दी Digha सीट से टिकट बिहार की सियासत इन दिनों काफी गर्म है। हर पार्टी अपनी-अपनी चाल चल रही है, और अब विपक्षी गठबंधन यानी INDIA ब्लॉक ने एक ऐसा कदम उठा लिया है जिसने सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। इस बार पटना की मशहूर दिग्घा विधानसभा सीट से उन्होंने दिव्या गौतम को उम्मीदवार बनाया है।

अब नाम सुनते ही लोगों में चर्चा शुरू हो गई क्योंकि दिव्या गौतम कोई आम नाम नहीं हैं, वो दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कज़िन (चचेरी बहन) हैं। और यही बात उन्हें बाकी नेताओं से बिल्कुल अलग बनाती है।

Divya Gautam का ताल्लुक एक ऐसे परिवार से है जो शिक्षा, समाजसेवा और कला से गहराई से जुड़ा रहा है। उन्होंने लंबे वक्त से महिलाओं की शिक्षा, गरीब बच्चों की मदद और सामाजिक मुद्दों पर आवाज़ उठाने जैसे काम किए हैं। उनका कहना है कि “नेतृत्व सिर्फ कुर्सी पर बैठने का नाम नहीं, बल्कि लोगों की आवाज़ बनने का हौसला होना चाहिए।”

दिव्या ने कई सालों से पटना और उसके आसपास के इलाकों में समाजसेवा का काम किया है। उन्होंने लड़कियों के लिए सेल्फ-डिफेंस ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट वर्कशॉप्स भी करवाई हैं। यानी राजनीति में आने से पहले ही उनका नाम एक एक्टिव सोशल वर्कर के तौर पर जाना जाता है।

सुशांत सिंह राजपूत का नाम और दिव्या की पहचान – जब से दिव्या गौतम का नाम सामने आया है, तब से सोशल मीडिया पर एक ही बात ट्रेंड कर रही है “सुशांत की बहन अब बिहार की राजनीति में।”

लोगों का कहना है कि दिव्या में सुशांत की सादगी, आत्मविश्वास और लगन झलकती है। सुशांत सिंह राजपूत भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका नाम आज भी लाखों लोगों के दिलों में बसता है। दिव्या का राजनीति में उतरना कहीं न कहीं उनके चाहने वालों को एक भावनात्मक जुड़ाव देता है।

Divya Gautam पटना की बेटी जो अब राजनीति के मैदान में कदम

Divya Gautam पटना की बेटी जो अब राजनीति के मैदान में कदम दिव्या गौतम का नाम इन दिनों बिहार की सियासत में खूब सुर्खियों में है। वजह भी खास है वो न सिर्फ एक पढ़ी-लिखी और समझदार महिला हैं, बल्कि दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कज़िन (चचेरी बहन) भी हैं। सुशांत के जाने के बाद जहाँ उनके फैंस अब तक इमोशनल हैं, वहीं दिव्या अब एक नई राह पर निकल पड़ी हैं लोगों की आवाज़ बनने की राह पर।

पढ़ाई-लिखाई में अव्वल और सोच में नयी

Divya Gautam का जन्म पटना में हुआ। बचपन से ही पढ़ाई में तेज और सोच में आगे रहीं। उन्होंने पत्रकारिता और जनसंचार (Journalism and Mass Communication) में ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन दोनों की डिग्री ली है। इतना ही नहीं, वे UGC NET पास कर चुकी हैं और इस वक्त पीएचडी कर रही हैं, यानी ज्ञान और समझ दोनों में गहराई रखती हैं।

दिव्या ने कुछ सालों तक पटना महिला कॉलेज में सहायक प्रोफेसर (Assistant Professor) के तौर पर पढ़ाया भी है। उनकी क्लासेस में छात्र-छात्राएँ उन्हें बहुत पसंद करते थे क्योंकि वो सिखाने के साथ-साथ प्रेरित भी करती थीं।

सरकारी नौकरी से लेकर समाजसेवा तक

राजनीति में आने से पहले दिव्या ने बिहार सरकार के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में आपूर्ति निरीक्षक (Supply Inspector) के रूप में भी काम किया है। वो कहती हैं कि “सरकारी पद पर रहते हुए मुझे लोगों की असली परेशानियाँ समझ आईं गरीबी, शिक्षा, और बुनियादी ज़रूरतों की कमी ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया।”

यानी दिव्या सिर्फ बातों से नहीं, बल्कि काम से लोगों के बीच रहीं। उन्होंने ज़मीनी हकीकत को करीब से देखा है शायद यही वजह है कि अब वो राजनीति में आकर बदलाव लाने की बात करती हैं।

थिएटर और कला से गहरा रिश्ता

Divya Gautam सिर्फ एक शिक्षाविद या सरकारी अफ़सर नहीं हैं वो एक कला-प्रेमी इंसान भी हैं। वो रंगमंच (थिएटर) से लंबे वक्त से जुड़ी रही हैं और एक मशहूर थिएटर आर्टिस्ट के तौर पर जानी जाती हैं। उनके लिए मंच सिर्फ एक्टिंग का ज़रिया नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। उनके कई नाटकों में समाजिक मुद्दों जैसे महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा और समानता को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है।

थिएटर के इस अनुभव ने दिव्या को बोलने, सोचने और लोगों से जुड़ने का एक अलग आत्मविश्वास दिया है। उनकी परफॉर्मेंस में हमेशा एक सच्चाई और भावनाओं की गहराई दिखती है, जो सीधे दिल में उतर जाती है।

छात्रों और युवाओं की नेता

दिव्या का छात्र जीवन भी काफी सक्रिय रहा है। वो भारतीय जनसंचार संघ (AISA) से जुड़ी रहीं और वहां छात्र राजनीति की मजबूत आवाज़ बनीं। उनकी सोच साफ थी “युवाओं को सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रहना चाहिए, उन्हें समाज के लिए बोलना भी आना चाहिए।” उनके भाषण और नेतृत्व शैली ने उन्हें कई छात्रों के बीच रोल मॉडल बना दिया।

दिग्घा विधानसभा सीट का महत्व

बिहार की सियासत में अगर किसी सीट को हाई प्रोफाइल कहा जाए, तो उनमें से एक नाम ज़रूर होगा दिग्घा विधानसभा सीट। ये सीट पटना जिले की एक बड़ी और असरदार सीट मानी जाती है। यहाँ की राजनीति सिर्फ जात-पात के हिसाब से नहीं, बल्कि काम, विकास और लोगों के मुद्दों पर भी घूमती है।

कायस्थ समाज का मज़बूत असर

दिग्घा का इलाका ज्यादातर कायस्थ समुदाय के प्रभाव में आता है। यही वजह है कि यहाँ के चुनावी समीकरण हमेशा दिलचस्प रहते हैं। कायस्थ मतदाता शिक्षित और जागरूक माने जाते हैं यानी यहाँ कोई भी नेता सिर्फ बड़े वादे करके चुनाव नहीं जीत सकता। लोग यहाँ काम देखने के बाद ही वोट देते हैं। इसलिए, हर पार्टी कोशिश करती है कि यहाँ ऐसा उम्मीदवार उतारा जाए जो भरोसेमंद और जमीन से जुड़ा हुआ लगे।

मौजूदा विधायक और भाजपा का दबदबा

इस सीट पर इस वक्त भाजपा के नेता संजीव चौरसिया विधायक हैं। उन्होंने 2015 से लगातार जीत दर्ज की है और कई बार विरोधियों को कड़ी टक्कर दी है। संजीव चौरसिया की पहचान एक शांत लेकिन रणनीतिक नेता के रूप में होती है। उनके समर्थक कहते हैं कि उन्होंने क्षेत्र में सड़कों, शिक्षा और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं पर अच्छा काम किया है।

लेकिन विपक्ष का कहना है कि अभी भी कई इलाकों में विकास अधूरा है, और लोगों की उम्मीदें पहले जैसी पूरी नहीं हुईं। यही वजह है कि अब जब INDIA गठबंधन ने दिव्या गौतम जैसी नई और पढ़ी-लिखी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, तो मुकाबला और दिलचस्प हो गया है।

मतदाता संख्या और मतदान केंद्र

दिग्घा विधानसभा का आकार भी इसे खास बनाता है। यहाँ करीब 4 लाख मतदाता हैं, जो इसे बिहार की सबसे बड़ी विधानसभा सीटों में से एक बनाते हैं। मतदान के लिए यहाँ कुल 400 पोलिंग बूथ (मतदान केंद्र) बनाए गए हैं। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यहाँ चुनावी दिन पर कितना भारी माहौल रहता होगा लंबी कतारें, जनता में जोश, और हर पार्टी के कार्यकर्ताओं की दौड़भाग।

विकास और जनमुद्दे

दिग्घा के लोग सिर्फ जाति और धर्म के नाम पर वोट नहीं करते, बल्कि यहाँ विकास, रोज़गार, शिक्षा, और युवाओं के अवसरों जैसे मुद्दे सबसे ज़्यादा मायने रखते हैं। पिछले कुछ सालों में यहाँ सड़कों का चौड़ीकरण, पुलों का निर्माण और बाढ़ से बचाव के काम हुए हैं, लेकिन अभी भी कई इलाकों में पानी की समस्या, ट्रैफिक जाम, और स्वास्थ्य केंद्रों की कमी जैसी परेशानियाँ बनी हुई हैं। यही वजह है कि लोग अब ऐसे उम्मीदवार को चुनना चाहते हैं जो सुन भी सके और हल भी निकाल सके।

Divya Gautam की उम्मीदवारी का राजनीतिक संदर्भ

Divya Gautam की उम्मीदवारी: भाकपा (माले) ने दिखाया भरोसा, कहा “पहचान अपने काम से बनती है” बिहार चुनाव 2025 में अब मुकाबला और दिलचस्प होता जा रहा है। विपक्षी महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) की तरफ से भाकपा (माले) ने एक बड़ा दांव खेला है उन्होंने दिग्घा विधानसभा सीट से दिव्या गौतम को उम्मीदवार बनाया है। दिव्या वही हैं, जो दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कज़िन (चचेरी बहन) हैं।

सही वक्त पर हुआ चयन
दिव्या गौतम का नाम ऐसे समय पर आया है जब महागठबंधन और भाजपा नेतृत्व वाले NDA के बीच सीट बंटवारे को लेकर गहमागहमी चल रही है। हर दल अपनी सीटों को लेकर सख्त रुख में है, लेकिन दिग्घा जैसी बड़ी सीट पर दिव्या को उतारना भाकपा (माले) की तरफ से एक समझदारी भरा कदम माना जा रहा है|लोगों का मानना है कि दिव्या जैसी पढ़ी-लिखी, युवा और सक्रिय महिला उम्मीदवार इस सीट पर एक नई ऊर्जा और सोच लेकर आएंगी।

Bihar Election 2025: रणनीति और संभावनाएं

बिहार की सियासत में इन दिनों दिग्घा विधानसभा सीट सबसे ज़्यादा चर्चा में है। वजह साफ है महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) ने इस सीट से दिव्या गौतम को उम्मीदवार बनाया है। दिव्या के मैदान में आने से इस सीट पर मुकाबला अब दिलचस्प और बराबरी का माना जा रहा है। अब तक यहाँ भाजपा के संजीव चौरसिया का दबदबा रहा है, लेकिन दिव्या की एंट्री से समीकरण बदलते नज़र आ रहे हैं।

नई सोच और नया चेहरा
दिव्या गौतम कोई पारंपरिक नेता नहीं हैं। वो पढ़ी-लिखी, समझदार और समाज के बीच लगातार काम करने वाली महिला हैं। पत्रकारिता, शिक्षा और कला इन तीनों क्षेत्रों में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है।

लोग उन्हें सिर्फ एक उम्मीदवार के तौर पर नहीं, बल्कि “बदलाव की आवाज़” के रूप में देख रहे हैं। उनकी सामाजिक सक्रियता, महिलाओं से जुड़ाव, और युवाओं के साथ तालमेल उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाता है। वो हमेशा इस बात पर ज़ोर देती हैं कि “राजनीति सिर्फ सत्ता का खेल नहीं, बल्कि समाज को सुधारने का जरिया है।”

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