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Haryana Police ASI Sandeep Kumar का Suicidal खुलासा: ADGP Puran Kumar के आरोपों की Truth क्या है?

Haryana Police ASI Sandeep Kumar का Suicidal खुलासा: ADGP Puran Kumar के आरोपों की Truth क्या है?

ADGP Puran Kumar के ‘जाति उत्पीड़न’ दावे पर ASI का खुलासा

Haryana Police में फिर सनसनी ASI Sandeep Kumar की आत्महत्या ने खोले कई राज़, कहा “मैं खुद को क़ुर्बान कर रहा हूँ ताकि लोग जाग जाएँ”

Haryana Police विभाग के अंदर से एक हिला देने वाली और दर्दनाक खबर सामने आई है। एक और पुलिसकर्मी ने अपनी जान दे दी है और इस बार उसने पीछे एक ऐसा तीन पन्नों का सुसाइड नोट और वीडियो संदेश छोड़ा है, जिसने पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है।

मामला बेहद संवेदनशील और पेचीदा है क्योंकि यह पहले से विवादों में घिरे आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की कथित आत्महत्या के केस से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। अब एएसआई संदीप कुमार लथर की मौत ने इस पूरी कहानी को और भी उलझा दिया है।

“मेरा ये कदम एक बलिदान है” संदीप का आख़िरी संदेश
Sandeep Kumar ने अपने आखिरी नोट में लिखा कि वह यह कदम कायरता या हार मानने की वजह से नहीं, बल्कि लोगों को जगाने के लिए उठा रहे हैं। उनके शब्दों में,“मैं खुद को क़ुर्बान कर रहा हूँ ताकि लोग जागें। सिस्टम में जो गंदगी है, जो झूठ फैला है, वो सामने आए।”

सुसाइड नोट के साथ उन्होंने एक वीडियो संदेश भी छोड़ा है, जिसमें वो साफ़ कहते दिखाई दे रहे हैं कि आईपीएस पूरन कुमार कोई जातिगत पीड़ित नहीं थे, बल्कि उन्होंने भ्रष्टाचार के जाल में खुद को फँसा लिया था।

संदीप ने अपने वीडियो में ये भी कहा कि जो सच्चाई सामने लाने की कोशिश करता है, उसे या तो दबा दिया जाता है या बदनाम कर दिया जाता है।“मैं ये सब इसलिए कर रहा हूँ ताकि लोगों को हकीकत पता चले अब और झूठ न फैले,” उन्होंने कहा।

पूरन कुमार केस से जुड़ी उलझन

याद दिला दें, कुछ समय पहले ही आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की संदिग्ध हालत में मौत ने पूरे हरियाणा पुलिस सिस्टम को हिला दिया था। उस वक्त दावा किया गया था कि वे जातिगत भेदभाव और मानसिक दबाव से परेशान थे। लेकिन अब संदीप लथर की मौत के बाद कहानी का दूसरा पहलू सामने आ रहा है जो ये इशारा करता है कि मामला उतना सीधा नहीं था जितना दिखाया गया।

Sandeep Kumar ने अपने नोट में लिखा कि Puran Kumar “भ्रष्टाचार में गहराई तक डूबे हुए थे” और उनकी मौत को जाति के मुद्दे से जोड़ना “गलत और भ्रामक” है।

विभाग में हड़कंप और जांच के आदेश

जैसे ही ये खबर फैली, हरियाणा पुलिस के अंदर हड़कंप मच गया। वरिष्ठ अधिकारी तुरंत हरकत में आए और पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। संदीप की ड्यूटी हिस्ट्री, उनके मोबाइल डेटा, और नोट में लिखी बातों की फॉरेंसिक जांच शुरू की जा चुकी है।

उनके परिवार ने बताया कि संदीप पिछले कुछ महीनों से मानसिक दबाव में थे लेकिन उन्होंने कभी खुलकर अपनी परेशानी नहीं बताई। उनके पिता ने कहा,“वो एक ईमानदार अफसर था, जो झूठ और अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकता था।” “सच को दबाया जा रहा है” पुलिसकर्मियों में बेचैनी इस घटना ने पुलिस विभाग के भीतर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

कई पुलिसकर्मी अब खुलकर ये कह रहे हैं कि सिस्टम के अंदर सच बोलने वालों की आवाज़ दबाई जाती है। कुछ अधिकारियों का कहना है कि अगर संदीप की बातें सच हैं, तो ये हरियाणा पुलिस के अंदर की भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी परतों में से एक हो सकती हैं।

जनता और सरकार से उम्मीद

लोग सोशल मीडिया पर संदीप के वीडियो को “सच्चाई की आखिरी पुकार” कह रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि सरकार को अब इस मामले को गंभीरता से लेकर पारदर्शी जांच करनी चाहिए। वरना सच्चाई हमेशा की तरह फिर किसी फाइल में बंद रह जाएगी।

इस पूरी घटना ने हरियाणा पुलिस की साख, संवेदनशीलता और ईमानदारी पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ़ सिस्टम को बचाने की कोशिशें हैं, और दूसरी तरफ़ वो आवाज़ें जो अब दम तोड़ चुकी हैं लेकिन जिनकी गूंज शायद अब रुकने वाली नहीं। “कभी-कभी सच्चाई इतनी कड़वी होती है कि वो बोलने वाले की जान ले लेती है लेकिन उसका असर पूरे समाज को झकझोर देता है।”

Y. Puran Kumar की कथित आत्महत्या

हरियाणा में हड़कंप: ADGP Puran Kumar की आत्महत्या से उठे जातिगत उत्पीड़न और सिस्टम की सच्चाई पर बड़े सवाल – 7 अक्टूबर 2025 का दिन हरियाणा पुलिस के इतिहास में एक काले अध्याय की तरह दर्ज हो गया। उस दिन राज्य के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार, जो एडीजीपी / आईजी रैंक पर तैनात थे, ने अपने ही घर में ख़ुद को गोली मार ली।

यह खबर जैसे ही फैली, पूरे राज्य में सन्नाटा और सनसनी दोनों फैल गई। एक ऐसा अफसर, जिसने अपनी ईमानदारी और सख़्त छवि से पहचान बनाई थी, आखिर किस हद तक टूट गया होगा कि उसने अपनी जान देने का फैसला कर लिया?

“मुझे मेरी जाति की वजह से प्रताड़ित किया गया” पूरन कुमार का आख़िरी नोट

पूरन कुमार ने अपनी मौत से पहले एक फाइनल नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने बेहद गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने साफ़ लिखा कि उन्हें उनके वरिष्ठ अधिकारी जातिगत आधार पर अपमानित और परेशान करते रहे। नोट में उन्होंने सीधे तौर पर डीजीपी शत्रुजीत कपूर, एसपी नरेंद्र बियारनिया और कुछ अन्य अधिकारियों के नाम लिए और कहा कि ये लोग उन्हें सिर्फ़ इसलिए टारगेट करते थे क्योंकि वे “नीची जाति” से आते हैं।

पूरन कुमार ने लिखा – “मैंने हमेशा ईमानदारी से काम किया, लेकिन मेरे साथ सिर्फ़ इसलिए भेदभाव हुआ क्योंकि मेरा सरनेम और जाति किसी को पसंद नहीं थी। अब थक चुका हूँ… अब आवाज़ मेरी मौत के बाद उठेगी।” उनका ये नोट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और देखते ही देखते मामला राजनीतिक और सामाजिक आग में बदल गया।

पत्नी अमनीत पी. कुमार की न्याय की लड़ाई

पूरन कुमार की पत्नी अमनीत पी. कुमार, जो खुद एक वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं, उन्होंने सार्वजनिक रूप से सरकार से न्याय की मांग की। उन्होंने कहा कि जो FIR दर्ज की गई है, उसमें जानबूझकर कई नाम छोड़ दिए गए हैं, जबकि उनके पति ने अपने नोट में साफ़-साफ़ उन अफसरों का ज़िक्र किया था।

अमनीत ने कहा “मेरे पति को लगातार दबाव में रखा गया, उनकी बात सुनी नहीं गई। उन्होंने जब-जब मदद मांगी, उन्हें ही गलत साबित किया गया।” उन्होंने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।

राजनीति और समाज में मचा तूफ़ान

जैसे ही यह मामला सामने आया, दलित समुदाय और कई राजनीतिक दलों ने इसे जातिगत उत्पीड़न का बड़ा उदाहरण बताया। हरियाणा के अलग-अलग जिलों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए लोग सड़कों पर उतर आए, “न्याय दो, न्याय दो” के नारे लगने लगे। विपक्षी नेताओं ने कहा कि यह घटना सिर्फ़ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि एक सिस्टम की असफलता है।

सरकार पर दबाव और जांच की शुरुआत

जैसे-जैसे मामला तूल पकड़ता गया, राज्य सरकार पर भारी दबाव बढ़ने लगा। विरोध और जनाक्रोश को देखते हुए सरकार ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर को तत्काल अवकाश पर भेज दिया। साथ ही, एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया ताकि इस मामले की तह तक पहुँचा जा सके। SIT को आदेश दिया गया कि वो पूरन कुमार की ड्यूटी रिकॉर्ड, ट्रांसफर ऑर्डर, पत्राचार और उनके सुसाइड नोट में किए गए हर दावे की तफ़्तीश करे।

पूरन कुमार की मौत ने पुलिस विभाग, राजनीति और समाज तीनों को झकझोर दिया है। लोग अब यह पूछ रहे हैं कि अगर सिस्टम के अंदर एक एडीजीपी स्तर का अधिकारी भी न्याय नहीं पा सकता, तो नीचे के स्तर पर क्या हाल होगा? पूरन कुमार अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके लिखे शब्द और छोड़ी हुई सच्चाई हर किसी के दिल में सवाल बनकर गूंज रही है।

“कभी-कभी इंसान अपनी आवाज़ उठाने के लिए अपनी जान तक दे देता है ताकि दुनिया ये समझ सके कि खामोशी भी एक गुनाह होती है।”

ASI Sandeep Kumar लथर की आत्महत्या

लगभग एक हफ़्ते के भीतर Haryana Police में एक और हिला देने वाली घटना सामने आई। रॉहतक के साइबर सेल में तैनात सहायक उपनिरीक्षक (ASI) संदीप कुमार लथर ने खुद को गोली मारकर जान दे दी। उनकी लाश रॉहतक जिले के लधोत गाँव के एक खेत के पास बने कमरे में मिली। उनके पास उनकी सेवा की रिवॉल्वर पाई गई।

आख़िरी संदेश: “मैं अपनी जान इसलिए दे रहा हूँ ताकि लोग जागें” संदीप ने अपनी मौत से पहले तीन पन्नों का नोट और एक वीडियो संदेश छोड़ा। “मैं अपनी जान इसलिए दे रहा हूँ ताकि लोग जागें और सिस्टम में चल रही गंदगी को समझें।”

Sandeep Kumar ने अपने नोट में आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार पर गंभीर आरोप लगाए। उनके शब्दों में, “पूरन कुमार बहुत भ्रष्ट अधिकारी थे। उन्होंने बड़े स्तर पर घूसखोरी की, सत्ता का दुरुपयोग किया और प्रणाली को अपने कब्जे में लेना शुरू किया। उन्होंने जाति के मुद्दे को राजनीति या दिखावे के लिए इस्तेमाल किया, ताकि असली आरोपों को दबाया जा सके।”

संदीप ने यह भी कहा कि पूरन कुमार और उनके परिवार की संपत्ति की पूरी जाँच होनी चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार की परतें सामने आएँ।

SP नारेंद्र बियारनिया का समर्थन

Sandeep Kumar ने अपने नोट में रॉहतक SP नारेंद्र बियारनिया का समर्थन जताया। SP नारेंद्र पहले ही पूरन कुमार के नोट में नामित थे। संदीप ने लिखा कि उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ काम किया, लेकिन सिस्टम के दबाव और अन्याय को सहना अब उनके बस की बात नहीं रही।

मौके पर पहुंची पुलिस और फॉरेंसिक टीम

Sandeep Kumar की मौत की सूचना मिलते ही पुलिस, फॉरेंसिक टीम और वरिष्ठ अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने कमरे और आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण किया और सबूत जुटाए। जाँच में यह देखा जाएगा कि संदीप ने किस तरह का दबाव महसूस किया, और उनके द्वारा लगाए गए आरोप कितने सत्य हैं। अधिकारियों का कहना है कि वीडियो और नोट दोनों को गहन रूप से विश्लेषित किया जाएगा।

Haryana Police विभाग में बढ़ती बेचैनी

Sandeep Kumar की मौत ने पुलिस विभाग में खलबली मचा दी। कई अधिकारी और कर्मचारी अब खुलकर कह रहे हैं कि सच्चाई सामने लाने वाले लगातार दबाए जा रहे हैं, और सिस्टम के भीतर भ्रष्टाचार और दबाव की परतें गहरी हैं।

Sandeep Kumar के नोट और वीडियो संदेश ने यह साफ़ कर दिया कि उनका कदम सिर्फ़ आत्महत्या नहीं, बल्कि एक चेतावनी और जागरूकता का संदेश भी था। “कभी-कभी सच बोलना इतना भारी पड़ जाता है कि इंसान अपनी जान तक दे देता है ताकि दूसरों को सबक मिले।”

जाति बनाम भ्रष्टाचार: पूरन कुमार केस में अब नज़र

जाति या भ्रष्टाचार?

आईपीएस अधिकारी Puran Kumar की तरफ़ से यह बताया गया कि उनकी पीड़ा जातिगत भेदभाव की वजह से थी। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी उन्हें नीची जाति होने की वजह से परेशान और दबाते रहे।

लेकिन रॉहतक के ASI संदीप कुमार लथर ने इसके उलट दावा किया कि असल मुद्दा जाति नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार है। उनके अनुसार, नकदी वसूली, पदों का बंटवारा और सत्ता का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा था।

उन्होंने कहा कि पूरन कुमार ने जाति को केवल राजनीति या ध्यान भटकाने के लिए इस्तेमाल किया, ताकि असली भ्रष्टाचार के आरोप दबाए जा सकें। इस तरह यह मामला अब सिर्फ़ जाति पीड़न की कहानी नहीं रह गया, बल्कि शासकीय भ्रष्टाचार के पर्दाफाश की लड़ाई बन गया है।

प्रमाण और विश्वसनीयता

Sandeep Kumar द्वारा छोड़े गए वीडियो और नोट की प्रामाणिकता अभी जांच के दायरे में है। पुलिस ने कहा कि फॉरेंसिक टीम इन सबूतों की सत्यता और असलीपन की पुष्टि कर रही है|ऐसे मामलों में सबसे बड़ी चुनौती होती है साक्ष्यों की सुरक्षा। यदि कोई बाहरी दबाव या राजनीतिक दखल हो, तो सबूतों में हेरफेर होने का खतरा रहता है।

मीडिया और राजनैतिक दबाव

मामले की गंभीरता को देखते हुए राजनीतिक दल और मीडिया इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं। दलित समाज संगठनों ने इसे जातिगत उत्पीड़न का प्रतीक बताया और पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन की अपील की।

प्रशासनिक कदम

राज्य सरकार ने डीजीपी को अवकाश पर भेज दिया और ओपी सिंह को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा। साथ ही, SP नारेंद्र बियारनिया को स्थानांतरित कर दिया गया।
मामले की जांच के लिए SIT (विशेष जांच दल) का गठन किया गया और चंडीगढ़ पुलिस मामले की तह तक पहुंच रही है।

Puran Kumar की पत्नी ने भी FIR में SC/ST एक्ट की धाराएँ जोड़ने की मांग की है, ताकि जातिगत उत्पीड़न की बात भी कानूनी रूप से दर्ज हो सके। पूरन कुमार और संदीप लथर की मौत ने यह साफ़ कर दिया कि सिस्टम में सच बोलने वाले और भ्रष्टाचार उजागर करने वाले लगातार दबाए जा रहे हैं। अब सवाल यह है कि साक्ष्य सुरक्षित रहेंगे और न्याय मिलेगा, या फिर यह मामला भी सियासत और दबाव में दब

सामाजिक एवं नीतिगत अर्थ
Haryana Police और सच की बलि: जब आवाज़ दबाई जाए हरियाणा पुलिस में हुई ये घटनाएँ हमें एक गहरी और दर्दनाक सच्चाई दिखाती हैं। यह साफ़ है कि पुलिस के अंदर संघर्ष, भ्रष्टाचार और दबाव इतने जटिल हो चुके हैं कि सच्चाई बोलने वालों के लिए राह मुश्किल हो गई है।

अगर एक ASI Sandeep Kumar को इतनी हिम्मत करनी पड़ी कि वह मौत का रास्ता चुन ले, तो समझा जा सकता है कि निर्भीक और ईमानदार अधिकारियों पर कितना दबाव और शोषण हो रहा होगा।

दलित मुद्दा और संवेदनशीलता
पूरे देश में दलित समुदाय ने इस घटना को बहुत संवेदनशील रूप में लिया। पूरन कुमार द्वारा लगाए गए जातिगत उत्पीड़न के आरोप को कई लोग जातीय अन्याय का प्रतीक मानते हैं। लेकिन अगर संदीप लथर की दलीलें सही साबित होती हैं, तो यह दिखता है कि जाति का मुद्दा केवल एक मुखौटा था और असली लड़ाई थी भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग की।

न्याय प्रणाली और मीडिया का रोल
ऐसी घटनाएँ न्यायालय, पुलिस, मीडिया और जनभावना के बीच संतुलन के लिए चुनौती बन सकती हैं। अगर मीडिया दबाव में काम करे या जांच अधूरी रह जाए, तो ऐसे मामले हमेशा लटकते ही रहेंगे। सिर्फ़ निष्पक्ष और पारदर्शी जांच ही लोगों का भरोसा जगाती है कि सच्चाई दबाई नहीं जा सकती।

“स्वयं की बलि, सच की पुकार”

Sandeep Kumar लथर की मौत सिर्फ़ आत्महत्या नहीं, बल्कि एक सच की चेतावनी और जागरूकता का संदेश है। उन्होंने खुद को बलिदान देकर कहा कि यह कदम लोगों को जगाने के लिए है। हरियाणा पुलिस में अब यह सवाल खुलकर सामने है यह मामला जातिगत उत्पीड़न है, या फिर भ्रष्टाचार और सत्ता दुरुपयोग का?

यदि संदीप सच बोल रहे थे, तो उनकी बलि यह साबित करती है कि सच बोलना इतना भारी हो सकता है कि इंसान अपनी जान तक दे दे। हमें अब धैर्य रखना होगा। जांच समिति, न्यायालय और सरकार को इस मामले को राजनीति से ऊपर रखकर निष्पक्षता से देखना होगा। यदि दोषी पाए गए, तो उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए।

अगर आरोप झूठे साबित हुए, तो सच का पर्दाफाश होना चाहिए। यह मामला केवल हरियाणा पुलिस की परीक्षा नहीं है, बल्कि पूरे देश की न्याय व्यवस्था और सामाजिक संवेदनशीलता की कसौटी है। जब सच की आवाज़ दबती है, तो बलिदान ही वह ज़रिया बन जाता है जो समाज को जगाता है।

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